Internet Ki Khoj Aur Avishkar | इंटरनेट का परिचय और विकास क्रम

Last Updated on 22, January, 2023 by Dheeraj Ahirwar

Internet Ka Avishkar, इंटरनेट क्या है? इसकी खोज किसने की? इंटरनेट का उपयोग, इसका मालिक कौन है? इंटरनेट का आविष्कार (Internet Ka Avishkar) किसने किया? कहाँ किया? इंटरनेट का परिचय और विकास क्रम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे। father of internet, इंटरनेट फुल फॉर्म (full form of internet) की तमाम जानकारी, किसने internet ki khoj kisne ki आदि जानकारी हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके साथ साझा करने जा रहे हैं। आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें Q. Internet का सलूशन हो जाएगा तो चलिए स्टार्ट करते हैं।

Internet Ki Khoj Aur Avishkar
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इंटरनेट परिचय | Internet Ka Avishkar

Internet Full Form: व्यापक अर्थ में इंटरनेट को सर्वत्र उपलब्ध कम्प्यूटर्स के नेटवर्क का नेटवर्क कहा जा सकता है। इस Network पर सूचनाओं का आदान-प्रदान विद्युत संकेतों के रूप में किया जाता है। मुख्य रूप से सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए बनाया गया, यह नेटवर्क (Network) लगभग 30 वर्ष पूर्व अमेरिका के रक्षा विभाग द्वारा प्रारम्भ किए गए एक प्रयोग का परिणाम है। Internet Ki Khoj 1960 के दशक में अमेरिकी रक्षा विभाग को एक ऐसे कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network) की आवश्यकता महसूस हुई जो परमाणु युद्व के समय भी कार्य के। इस नेटवर्क की एक प्रमुख विशेषता यह होती थी कि इसके एक भाग के पूर्णतः नष्ट हो जाने की स्थिति में भी शेष, पूर्ण रूप से कारगर होगा।

Internet Ki Khoj Aur Avishkar | इंटरनेट की विशेषताएँ

इंटरनेट का विकास (Growth Of Internet) का विशेषताएँ क्रम निम्न है:

  1. 1962 से 1969: इस काल में इंटरनेट की परिकल्पना की गई तथा इंटरनेट कागज से निकल कर छोटे से नेटवर्क के रूप में सामने आया।
  2. 1970 से 1973: इस काल में ARPANET परियोजना का विकास किया गया। ARPA (Advanced Research Project Agency) एक सैन्य संगठन था, ने ARPANET को बनाने के सम्बंध में विचार विमर्श प्रारंभ किया।
  3. 1974 से 1981: इस काल में ARPANET सैन्य रिसर्च से बाहर आया तथा अन्य व्यक्तियों को यह पता लगा कि कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network) आम जीवन में कितना उपयोगी है।
  4. 1982 से 1987: इस काल में ARPANET के स्थान पर इंटरनेट शब्द (Internet Word) का प्रयोग प्रारंभ किया गया। इसी काल में इंटरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol) का विकास किया गया।
  5. 1988 से 1990: इस काल में सूचना के सुरक्षित आदान-प्रदान व कम्प्यूटर सुरक्षा (Computer Security) पर ध्यान देने का कार्य प्रारंभ हुआ।
  6. 1991 से 1993: इस काल में इंटरनेट के वाणिज्यिक (Internet Commercial) उपयोग ने गति पकड़ी।
  7. 1994 से 1998: इंटरनेट युग का सूत्रपात इसी काल में प्रारंभ हुआ।

इंटरनेट प्रोटोकॉल | Internet Protocols

संदेशों के ऐसे प्रारूप जिन्हें औपचारिक रूप से वर्णित किया जाता है, प्रोटोकॉल (Protocols) कहलाते हैं। दो मशीनों के मध्य डाटा के आदान-प्रदान के लिए प्रोटोकॉल (Protocols) का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

Internet Ki Khoj Aur Avishkar
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Internet Ke विभिन्न प्रकार के प्रोटोकॉल निम्न हैं:

  1. POP (Post Office Protocol) : यह क्लाइंट-सर्वर–मॉडल पर आधारित होता है। इसका प्रयोग ई-मेल को डाउनलोड या अपलोड करने में किया जाता है। इस Protocols के माध्यम से क्लाइंट सर्वर से ई-मेल प्राप्त करता है।
  2. ICMP (Internet Control Message Protocol) : यह प्रोटोकॉल, गेटवे व होस्ट के बीच गलतियों व सूचनाओं को नियंत्रित करता है।
  3. ARP (Address Resolution Protocol) : इस Protocols की सहायता से इंटरनेट ऐड्रेस को हार्डवेयर ऐड्रेस में परिवर्तित किया जाता है।
  4. RARP (Reverse Address Resolution Protocol) : यह Protocols (प्रोटोकॉल) ARP के विपरीत होता है। अर्थात् इस प्रोटोकॉल की सहायता से हार्डवेयर ऐड्रेस को इंटरनेट ऐड्रेस में परिवर्तित किया जाता है।
  5. TCP (Transmission Control Protocol) : इसके द्वारा दो कम्प्यूटर्स के मध्य सम्बंध स्थापित कर डाटा का स्थानान्तरण किया जाता है। इस प्रोटोकॉल का प्रयोग (Protocol Use) अधिकांशतः इंटरनेट प्रोग्राम्स के द्वारा किया जाता है। इसे कनेक्शन ओरिएन्टेड कॉल भी कहते हैं। यह IP प्रोटोकॉल के साथ संयुक्त होकर TCP / IP बनाता है।
  6. UDP (User Data Program Protocol) : इसके द्वारा दो कम्प्यूटर्स के मध्य कोई सवा स्थापित नहीं किया जाता है, अर्थात् यह कनेक्शन रहित प्रोटोकॉल है।

Protocols Of Internet. इंटरनेट प्रोटोकॉल

  1. FTP (File Transfer Protocol) : इसके द्वारा एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम पर फाइल का स्थानान्तरण किया जाता है। यह क्लाइन्ट-सर्वर मॉडल पर आधारित होता है। यह क्लाइंट प्रोसेस व सर्वर प्रोसेस के मध्य दो कनेक्शन स्थापित करता है। प्रथम प्रकार का कनेक्शन डाटा के स्थानान्तरण हेतु और दूसरे प्रकार का कनेक्शन सूचनाओं को नियंत्रित करने के लिए। यह बाइनरि फाइल और टेकस्ट फाइल दोनों को ही स्थानान्तरित कर सकता है। इस प्रणाली के अंतर्गत उपयोगकर्ता यह निर्धारित करता है कि कौन-सी फाइल स्थानान्तरित की जायेगी तथा उसे स्थानान्तरित करने की विधि क्या होगी।

इस कार्य विधि के कुछ चरण निम्न हैं:

(अ) सर्वर से जोड़ना।

(स) अंत में फाइल को स्थानान्तरित करना।

(ब) फाइल के स्ट्रक्चर का संचालन करना।

  1. TFTP (Trivial File Transfer Protocol) : इसके द्वारा भी एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम पर फाइल का स्थानान्तरण किया जाता है। लेकिन यह FTP के समान गुण प्रदर्शित नहीं करता है। इसकी एकमात्र विशेषता यह है कि यह क्लाइंट प्रोसेस व सर्वर प्रोसेस के मध्य फाइलों को प्राप्त करने और भेजने की योग्यता रखता है।
  2. SMTP (Simple Mail Transfer Protocol) : यह इंटरनेट पर ई-मेल को सहायता प्रदान करता है। इसके द्वारा विभिन्न उपयोगकर्ताओं के मध्य ई-मेल करने में सुविधा रहती है। इसके अन्य कार्य निम्न हैं: (अ) किसी संदेश को एक या एक से अधिक प्राप्तकर्ताओं को भेजना। (ब) ऐसे संदेशों को भेजना जिसमें ध्वनि, टेकस्ट, वीडियो या ग्राफिक्स इमेज शामिल हों।

इंटरफेस अवधारणा। Interface Concept

इंटरनेट से जुड़े हुए सभी कम्प्यूटर्स का इंटरफेस (Interface Of Computers) अलग-अलग होता है। प्रत्येक इंटरनेट सर्विस द्वारा हमारे कम्प्यूटर को एक अलग इंटरफेस प्रदान किया जाता है, जैसे ग्राफिकल इंटरफेस, मेन्यू ड्रिविन इंटरफेस। अतः इंटरफेस का चुनाव करना उपयोगकर्ता पर निर्भर करता है।

इंटरनेट और इंट्रानेट (Internet Vs Intranet) :

इन्ट्रानेट (Intranet) किसी कंपनी का आंतरिक नेटवर्क होता है, जो इंटरनेट मानकों का उपयोग करता है, जबकि इंटरनेट नेटवर्क्स का नेटवर्क है। इन्ट्रानेट (Intranet) के द्वारा इंटरनेट सॉफ्टवेयर व इंटरनेट प्रोटोकॉल का भी प्रयोग किया जाता है, लेकिन यह सदैव इंटरनेट (Intranet) से स्थायी सम्बंध नहीं रखता है।

Internet Ki Khoj Aur Avishkar
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इंटरनेट और इंट्रानेट (Internet Vs Intranet) में प्रमुख अंतर निम्न हैं:

क्र.इंट्रानेटइंटरनेट
1.इसके द्वारा LAN को जोड़ा जा जोड़ा जा सकता है।इसके द्वारा LAN और WAN दोनों को जोडा जा सकता है।
2.इसके द्वारा इंटरनेट मानकों का प्रयोग एक निश्चित जगह में ही किया जा सकता है।इसके द्वारा इंटरनेट मानकों का प्रयोग विश्वव्यापी रूप में किया जाता है।
3.यह मेल सर्वर व सूचनाओं का प्रयोग व्यक्तिगत न्यूजग्रुप बनाने में करता है।यह मेल सर्वर व सूचनाओं का प्रयोग सार्वजनिक न्यूजग्रुप बनाने में करता है।
4.इंट्रानेट साइट को बिना इंटरनेट साइट की सहायता के नहीं बनाया जा सकता है।इंटरनेट साइट को बिना इंट्रानेट साइट के बनाया जा सकता है।
5.इसके द्वारा सूचनाओं का आदान प्रदान सीमित क्षेत्र में होता है।इसके द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान कहीं भी हो सकता है।
Internet Vs Intranet

इंटरनेट का विकास। Growth of Internet. इंटरनेट के जनक

आज के इंटरनेट के इस मूल रूप को ARPANET के नाम से जाना जाता है। इंटरनेट को प्रारूप देने वाले सभी नेटवर्क एक विशेष प्रोटोकॉल पर आधारित होते हैं। सूचनाओं का आदान-प्रदान करने वाले दोनों पक्षों के इस प्रोटोकॉल पर सहमति होने के उपरांत ही वे इंटरनेट का उपयोग (Internet access) कर पाते हैं।

1972 में बढ़ते नेटवर्क के लिए एक मानक बनाने हेतु International Working Group की स्थापना की गई। जिसके प्रथम अध्यक्ष Vinton Cerf हुए जिन्हें आगे जाकर इंटरनेट का पितामह (Father Of Internet) कहा गया। 1982 में समस्त इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए एक समान प्रोटोकॉल TCP / IP का विकास किया गया। इसी समय इंटरनेट नाम प्रथम बार प्रयुक्त किया गया।

Internet Ki Khoj Aur Avishkar
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1985 में National Science Foundation (NSF) ने NSFNET की स्थापना की जो अनुसंधान और शिक्षा सम्बंधी संचार के लिए स्थापित नेटवर्क का समूह था। ARPANET प्रोटोकॉल पर आधारित NSFNET ने अमेरिका में राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी अमेरिकी अनुसंधान और शिक्षण संस्थान को मुफ्त में सेवा प्रदान कर इंटरनेट का मार्ग प्रशस्त किया।

नेटवर्क के रूप में इंटरने

1987 में USENET का निर्माण किया गया। साथ ही इसका वाणिज्यिक उपयोग आरंभ हुआ। 1989 में BITNET और CSNET को मिलाकर Corporation for research नाम की संस्था बनायी गई। 1990 में ARPANET को समाप्त कर दिया गया तथा नेटवर्क्स के नेटवर्क के रूप में इंटरनेट शेष रह गया।

1993 में MOSAIC नामक पहला आलेख आधारित वेब ब्राउसर (wave browser) विकसित किया गया। 1998 में भारत में प्रत्येक स्थान पर इंटरनेट को पहुँचाने का प्रयास आरंभ किया गया।

NSF ने ही इस समय एक और सुविधा पर भी कार्य प्रारंभ किया, जिसे InterNIC के नाम से जाना गया। इस संस्था का कार्य इंटरनेट पर प्रयोग में लाये जाने वाले नए डोमेन रजिस्टर का निर्माण करना था, जो। com,। org,। edu आदि का हिस्सा होते। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि इस संस्था की जिम्मेदारी यह थी कि इंटरनेट पर बनने वाली प्रत्येक साइट का नाम अद्वितीय हो। वर्तमान में यह कार्य InterNIC, AT&T और Network Solution के साथ मिलकर कर रहा है।

90 के दशक में भारत में इंटरनेट का आरंभ शैक्षणिक अनुसंधान हेतु बनाए गए तंत्र के लिए हुआ जिसे प्रारंभ में ERNET के नाम से जाना जाता था। इंटरनेट का आरंभ United Nations Development Program और भारत सरकार के Department of Electronics द्वारा किया गया। प्रारंभ में यह नेटवर्क मात्र शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थाओं तक ही सीमित था।

भारत में प्रथम बार इंटरनेट सेवा

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भारत में सार्वजनिक रूप में प्रथम बार इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995 में विदेश संचार निगम लि। द्वारा प्रारंभ की गई जब VSNL ने अपना Gateway Internet Access Services प्रारंभ किया। प्रारंभ में GIAS सिर्फ देश के महानगरों के अतिरिक्त पुणे के लिए ही उपलब्ध था। धीरे-धीरे VSNL ने दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर इंटरनेट की उपलब्धता को देश के कोने-कोने तक पहुँचाया। आज इंटरनेट सुविधा को उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में VSNL और DoT के अतिरिक्त कई निजी संस्थाएँ भी कार्यरत हैं, जिनमें सत्यम, इंफोचे, एच-सी एल आदि प्रमुख हैं।

निष्कर्ष

दोस्त ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से आप ने इंटरनेट की खोज और आविष्कार (Internet Ki Khoj Aur Avishkar) के बारे में जाना, साथ में इंटरनेट प्रोटोकॉल और इसकी विशेषताएँ एवं इंटरनेट और इंट्रानेट डिफरेंस जाना। आशा है आप ऊपर दिए गए कंटेंट जरूर अच्छा लगा होगा, धन्यवाद।

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